पर्यावरण बचाएं, इको-फ्रेंडली राखी चुनें

इको-फ्रेंडली राखियां: एक हरित रक्षाबंधन मनाएं

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, लेकिन इस बार यह पर्व सिर्फ रिश्तों की डोर नहीं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी दे रहा है। बाजारों में इस बार इको-फ्रेंडली राखी का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में महिलाएं और छोटे कारीगर अब प्लास्टिक की जगह कचरे से बनी, बीजों से सजी और पर्यावरण के अनुकूल राखियों का निर्माण कर रहे हैं।

इको-फ्रेंडली राखी न सिर्फ प्रकृति के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह नई पीढ़ी को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रही है। आइए जानते हैं कैसे इको-फ्रेंडली राखी एक नई सोच बनकर उभर रही है।

कचरे से बन रही है खूबसूरत राखी

जयपुर की महिलाओं ने इस रक्षाबंधन पर कचरे से सुंदर राखियां बनाकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है। टेट्रा पैक, पुराने कपड़े, लकड़ी के टुकड़े, धागे और मोती जैसी चीजों से बनी ये राखियां बाजार में न केवल दिखने में सुंदर हैं, बल्कि लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि त्योहारों को भी इको-फ्रेंडली बनाया जा सकता है।

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बीजों से बनी इको-फ्रेंडली राखी

उत्तराखंड के बाजारों में बीजों से बनी इको-फ्रेंडली राखी ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इन राखियों में सब्जियों और फूलों के बीज होते हैं जिन्हें भाई के हाथ में बांधने के बाद मिट्टी में लगाया जा सकता है। इससे पौधा उगता है और त्योहार की यादें लंबे समय तक जीवित रहती हैं। यह एक खूबसूरत और सार्थक गिफ्ट भी बन जाता है।

कानपुर में हर्बल और गोल्डन राखियों की धूम

कानपुर में इस बार इको-फ्रेंडली राखी के साथ-साथ हर्बल, सिल्वर और गोल्ड-प्लेटेड राखियां भी ट्रेंड में हैं। बाजारों में महिलाएं इन राखियों को खास तौर पर खरीद रही हैं जो न सिर्फ सुंदर हैं बल्कि त्वचा के लिए भी सुरक्षित हैं। कुछ राखियों में तुलसी, नीम और हल्दी जैसी औषधीय जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है।

प्लास्टिक से छुटकारा दिला रही हैं इको-फ्रेंडली राखियां

हर साल राखियों के त्योहार के बाद लाखों की संख्या में प्लास्टिक और सिंथेटिक राखियां नदियों और कचरे में फेंक दी जाती हैं। ये राखियां पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में इको-फ्रेंडली राखी का चलन समाज को एक नई दिशा दे रहा है। ये राखियां बायोडिग्रेडेबल होती हैं और प्राकृतिक रूप से मिट्टी में मिल जाती हैं।

महिलाओं को मिल रहा आत्मनिर्भरता का जरिया

जयपुर, देहरादून और कानपुर जैसे शहरों में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह इको-फ्रेंडली राखी बना रहे हैं। इससे उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई राह मिली है। ये राखियां ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर बिक रही हैं और इनकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है। यह न सिर्फ पर्यावरण को लाभ पहुंचा रही है बल्कि ग्रामीण महिलाओं की आजीविका का भी साधन बन रही है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी बढ़ रही है मांग

ई-कॉमर्स वेबसाइट्स जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा और लोकल हस्तशिल्प पोर्टल्स पर इको-फ्रेंडली राखी की भारी मांग देखी जा रही है। लोग अब पारंपरिक राखियों की जगह ऐसी राखियों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो टिकाऊ, सुंदर और प्रकृति के अनुकूल हों।

बच्चों के लिए भी मिल रही हैं पर्यावरणीय राखियां

बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए अब विशेष रूप से डिजाइन की गई इको-फ्रेंडली राखी भी बाजार में उपलब्ध हैं। कार्टून कैरेक्टर्स और रंगीन डिजाइनों के साथ आने वाली ये राखियां नॉन-टॉक्सिक और स्किन-फ्रेंडली होती हैं।

उपहारों में भी इको-फ्रेंडली विकल्प

राखी के साथ दिए जाने वाले गिफ्ट्स में भी अब बदलाव देखा जा रहा है। लोग अब प्लास्टिक गिफ्ट्स की जगह बीज पेन, प्लांटेबल ग्रीटिंग कार्ड, सस्टेनेबल स्टेशनरी और कपड़े से बने थैले जैसे इको-फ्रेंडली गिफ्ट्स को पसंद कर रहे हैं।

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रक्षाबंधन को बनाएं यादगार और पर्यावरण के लिए मददगार

इस रक्षाबंधन पर आप भी एक छोटा कदम उठाकर बड़े बदलाव की शुरुआत कर सकते हैं। इको-फ्रेंडली राखी खरीदें, बच्चों को इसका महत्व बताएं और परिवार के साथ मिलकर एक पौधा लगाएं। ये न सिर्फ एक अनमोल यादगार बनेगा, बल्कि पर्यावरण के लिए भी मददगार साबित होगा।

निष्कर्ष

इको-फ्रेंडली राखी न सिर्फ एक ट्रेंड है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है जो हम सभी को निभानी चाहिए। जब हम पर्यावरण के साथ अपने रिश्तों को भी सहेजते हैं, तब त्योहार का असली आनंद आता है। आइए इस रक्षाबंधन को और भी अर्थपूर्ण बनाएं।

FAQ

इको-फ्रेंडली राखी ऐसी राखी होती है जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती, और प्राकृतिक या रिसाइकल सामग्री से बनाई जाती है।

बीज राखी में पौधों के बीज लगे होते हैं, जिन्हें राखी उतारने के बाद मिट्टी में लगाकर पेड़-पौधे उगाए जा सकते हैं।

नहीं, इको-फ्रेंडली राखी आमतौर पर सस्ती होती हैं और इनकी कीमत 20 से 150 रुपये के बीच होती है।

आप इन्हें लोकल बाजार, स्वयं सहायता समूहों, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे Amazon, Flipkart आदि से खरीद सकते हैं।

यह राखी प्लास्टिक-मुक्त होती है और मिट्टी में आसानी से नष्ट हो जाती है, जिससे कचरा नहीं बढ़ता।

हां, आप पुराने कपड़े, सूती धागे और बीजों से घर पर ही इको-फ्रेंडली राखी बना सकते हैं।

हां, बच्चों के लिए कार्टून कैरेक्टर जैसी डिजाइन वाली हर्बल और इको-फ्रेंडली राखियां उपलब्ध हैं।

अगर सही तरीके से लगाया जाए और बीज अच्छे हों, तो बीज राखी से पौधे उगाना संभव है।

इको-फ्रेंडली राखी आने वाले वर्षों में त्योहारों को अधिक जिम्मेदार और प्रकृति के करीब बनाएगी।

यह सामग्री और डिज़ाइन पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यतः 15 से 30 मिनट में बनाई जा सकती है।