3 अगस्त की दोपहर दिल्ली में कुछ ऐसा हुआ जिससे पूरे सियासी गलियारे में हलचल सी मच गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह – दोनों ने एक ही दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकातें कीं।
अब ज़रा सोचिए, एक ही दिन, वो भी अलग-अलग टाइम पर, देश के सबसे बड़े नेता और गृह मंत्री का राष्ट्रपति से मिलना... कुछ तो बात है ना?
क्या कोई बड़ा फैसला आने वाला है?
साफ बात करें तो अभी तक इन मुलाकातों का कोई ऑफिसियल कारण सामने नहीं आया है। यानी सरकार ने कुछ बताया नहीं कि वो क्या बात करने गए थे।
तो लोगों ने कयास लगाने शुरू कर दिए – क्या उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर बात हुई? या फिर संसद के अंदर जो रोज़ बवाल मच रहा है, उस पर कोई हल निकालने की कोशिश?
उपराष्ट्रपति का चुनाव सिर पर है
जगदीप धनखड़ अब उपराष्ट्रपति नहीं हैं, उनकी कुर्सी खाली है। नया उपराष्ट्रपति चुनना है 9 सितंबर को।
ऐसे में ये बहुत मुमकिन है कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने राष्ट्रपति से इस पर बातचीत की हो – जैसे कि उम्मीदवार कौन होगा, नामांकन की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी और विपक्ष को साथ कैसे लिया जाए।
संसद में काम कम, हंगामा ज्यादा
संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है, लेकिन साफ कहें तो काम के नाम पर शोर ही ज्यादा हो रहा है। विपक्ष लगातार कुछ मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहा है – जैसे बिहार में SIR नाम का एक वोटर रिवीजन प्रोग्राम।
सरकार कहती है, ये जरूरी नहीं। नतीजा – रोज़ कीचड़-किचकिच, सांसद एक-दूसरे पर चिल्ला रहे हैं, और असली मुद्दे दब रहे हैं।
ऐसे में हो सकता है कि पीएम मोदी और शाह ने राष्ट्रपति से मिलकर ये सोचा हो कि इस झगड़े को कैसे सुलझाया जाए।
अंदर खाने कुछ बड़ा पक रहा है?
पिछले कुछ हफ्तों से ये चर्चा भी तेज़ है कि कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है। मतलब कुछ पुराने चेहरे हटेंगे, नए लोग आएंगे – वो भी अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी के हिसाब से।
अब ऐसी चीज़ें बिना राष्ट्रपति की जानकारी और मंज़ूरी के नहीं होतीं। तो शायद इसी सिलसिले में दोनों नेता राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे हों।
विदेश नीति भी चर्चा में हो सकती है
इन दिनों भारत के लिए इंटरनेशनल लेवल पर भी हालात थोड़े टेढ़े हैं। अमेरिका से ट्रेड को लेकर खींचतान चल रही है, चीन से बॉर्डर पर तनाव है, रूस से डिफेंस डील्स पर दबाव है।
ऐसे में हो सकता है कि इन मुद्दों पर भी एक गंभीर बातचीत हुई हो – ताकि आने वाले समय में कोई बड़ी रणनीति बनाई जा सके।
विपक्ष को शक क्यों हो रहा है?
विपक्ष तो फौरन बोल पड़ा – कह रहे हैं, सरकार कुछ छुपा रही है। कुछ बड़ा चल रहा है, जो जनता को नहीं बताया जा रहा।
कुछ नेताओं ने कहा कि ऐसी मुलाकातों की जानकारी सबके सामने होनी चाहिए। हालांकि सरकार की तरफ से इस पर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
एक साथ नहीं, अलग-अलग क्यों मिले?
ये भी एक दिलचस्प बात है। मोदी और शाह अगर चाहें तो एक साथ राष्ट्रपति से मिल सकते थे, लेकिन दोनों ने अलग-अलग टाइम पर मुलाकात की।
इससे लगता है कि शायद दोनों के मुद्दे अलग-अलग थे। हो सकता है पीएम ने उपराष्ट्रपति चुनाव या इंटरनेशनल मामलों पर बात की हो और शाह ने संसद या कैबिनेट बदलाव पर।
क्या वाकई कोई बड़ा ऐलान होने वाला है?
अब देखिए, जब इस लेवल के नेता इतने साइलेंट तरीके से मुलाकात करते हैं और कोई खुलासा नहीं होता – तो जाहिर है, कुछ बड़ा पक रहा होता है।
कुछ लोग कह रहे हैं कि शायद सरकार जल्द ही कोई बड़ा फैसला लेने वाली है – जैसे नए मंत्री, नई नीतियां, या कोई खास संसद सत्र बुलाना।
जनता को क्या समझना चाहिए?
कहीं चिंता की बात नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर है कि सत्ता के ऊपरी स्तर पर कोई हलचल है। और जो भी हो रहा है, उसका असर सीधे आम लोगों तक पहुंचेगा – चाहे वो नए फैसले हों या नीतियां।