जम्मू-कश्मीर का पहलगाम, जो आमतौर पर अपनी खूबसूरती और अमरनाथ यात्रा के लिए जाना जाता है, इस बार एक और वजह से चर्चा में आ गया — आतंक का चेहरा बनकर सामने आए दो चेहरे। और जब उनके पीछे की हकीकत सामने आई, तो सब हैरान रह गए कि पहलगाम के आतंकी निकले पाकिस्तानी।
ऑपरेशन महादेव: एक सटीक और साहसिक मिशन
भारतीय सेना को खुफिया इनपुट मिला कि पहलगाम के घने जंगलों में कुछ संदिग्ध लोग छिपे हुए हैं। बिना वक्त गंवाए, सेना ने पूरी तैयारी के साथ ऑपरेशन शुरू किया।
घंटों तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद जब दोनों आतंकी सामने आए, तो मुठभेड़ शुरू हुई। गोलीबारी के बाद दोनों आतंकियों को मार गिराया गया। यह ऑपरेशन 'महादेव' के नाम से चलाया गया और इसमें सेना ने अपनी रणनीतिक ताकत का बेहतरीन प्रदर्शन किया।
कौन थे ये आतंकी?
सेना और खुफिया एजेंसियों की जांच में पता चला कि मारे गए दोनों आतंकी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के रहने वाले थे।
पहला आतंकी – सुलैमान अफगान, रावलकोट का निवासी था, जो पहले से कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रह चुका था।
दूसरा – जिबरान, जिसका पूरा नेटवर्क PoK में फैला हुआ था, अमरनाथ यात्रा पर हमला करने की साजिश में शामिल था।
इस बात की पुष्टि होने के बाद ये पूरी तरह साफ हो गया कि पहलगाम के आतंकी निकले पाकिस्तानी।
अमरनाथ यात्रा पर हमले की साजिश
कुछ दिन पहले अमरनाथ यात्रा के दौरान महिला श्रद्धालुओं पर हमला हुआ था, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
जांच में सामने आया कि उसी हमले के पीछे ये दो आतंकी थे। उन्होंने योजना बनाई थी कि यात्रा में खलल डालकर आतंक फैलाया जाए, और स्थानीय शांति को भंग किया जाए।
इसी साजिश को नाकाम करने के लिए "ऑपरेशन सिंदूर" और बाद में "ऑपरेशन महादेव" शुरू किया गया।
सबूत जो पाकिस्तान की पोल खोलते हैं
दोनों आतंकियों के पास से जो सामान बरामद हुआ, उसने पाकिस्तान की सच्चाई उजागर कर दी। उनके पास पाकिस्तान में बनी नक्शे, हथियार, सैटेलाइट फोन और कोडेड संदेश मिले।
सिर्फ यही नहीं, उनके मोबाइल में PoK में मौजूद आतंकियों से चैटिंग और लोकेशन ट्रैकिंग जैसी जानकारियां भी मिलीं। इससे एक बार फिर साबित हुआ कि पहलगाम के आतंकी निकले पाकिस्तानी, और यह हमला पूरी तरह सीमा पार से प्रायोजित था।
सेना की रणनीति और मुस्तैदी ने बचाई कई जानें
सेना की सूझबूझ और तेजी ने इस बार भी देश को एक बड़े हमले से बचा लिया। ऑपरेशन के दौरान जवानों ने न केवल आतंकियों को ढूंढ निकाला, बल्कि आम लोगों को नुकसान न हो इसका पूरा ध्यान भी रखा।
कई बार आतंकियों ने घने जंगलों का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की, लेकिन सेना ने उन्हें घेर लिया और मार गिराया।
जनता की भूमिका बनी मिसाल
इस ऑपरेशन में एक और खास बात यह रही कि स्थानीय लोगों ने सेना का पूरा साथ दिया। कुछ गांववालों ने आतंकियों की संदिग्ध गतिविधियां देखकर तुरंत पुलिस को सूचना दी।
यही सूचना ऑपरेशन की नींव बनी और सेना ने बिना देर किए कार्रवाई की।
पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब
पाकिस्तान की सरकार भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की बातें करे, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सच्चाई सामने आ गई कि वह आतंकवाद को खुलेआम समर्थन दे रहा है।
भारत ने बार-बार कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहा है, और पहलगाम के आतंकी निकले पाकिस्तानी – यह बात एक बार फिर इसी नीति को मजबूत करती है।
सरकार और जनता में गुस्सा
इस हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश है। आम लोग सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है कि अब किसी भी आतंकी हरकत का जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा।
गृहमंत्री ने कहा, “हमारे सैनिकों ने फिर से साबित कर दिया कि भारत को छेड़ने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।”
आतंकवाद से निपटने का नया संकल्प
इस हमले ने हमें याद दिलाया है कि आतंकवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। लेकिन भारत की सेना, एजेंसियां और जनता – सभी मिलकर इसे जड़ से मिटाने को तैयार हैं।