वरलक्ष्मी व्रत 2025: सही विधि से करें पूजा

वरलक्ष्मी व्रत 2025: जानें क्या करें, क्या न करें

हर किसी के मन में यही ख्वाहिश होती है कि उसके घर में हमेशा सुख, शांति और बरकत बनी रहे। इसके लिए लोग खूब मेहनत करते हैं, लेकिन जब दिल से मां लक्ष्मी को याद किया जाए, तो जीवन में चमत्कार भी हो सकते हैं। वरलक्ष्मी व्रत एक ऐसा ही मौका है जब महिलाएं अपने पूरे परिवार की खुशहाली के लिए मां लक्ष्मी का व्रत करती हैं।

इस साल वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह सावन के आखिरी शुक्रवार को रखा जाता है और इसे बेहद शुभ माना जाता है।

वरलक्ष्मी व्रत क्या है और इसका महत्व क्या है

वरलक्ष्मी व्रत सिर्फ एक पूजा नहीं है, यह महिलाओं की उस भावना का प्रतीक है जिसमें वह अपने परिवार के लिए निःस्वार्थ रूप से प्रार्थना करती हैं। यह व्रत मां लक्ष्मी के आठ रूपों—धन, धान्य, संतान, ज्ञान, विजय, ऐश्वर्य, शक्ति और भाग्य लक्ष्मी—की कृपा पाने के लिए रखा जाता है।

कहते हैं कि जिस घर की स्त्री पूरे मन और श्रद्धा से यह व्रत करती है, वहां से दरिद्रता, अशांति और संकट दूर हो जाते हैं।

कौन रख सकता है वरलक्ष्मी व्रत

इस व्रत को विवाहित महिलाएं विशेष रूप से करती हैं, लेकिन अविवाहित लड़कियां भी इसे कर सकती हैं। दरअसल, यह व्रत केवल पति या बच्चों के लिए नहीं, बल्कि परिवार की समग्र भलाई और सुख-समृद्धि के लिए होता है।

व्रत की शुरुआत कैसे करें

वरलक्ष्मी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। पूजा की जगह साफ-सुथरी होनी चाहिए। फिर कलश में जल भरकर आम के पत्ते और नारियल से सजाएं और उस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को विराजित करें।

मां को फूल, चावल, हल्दी, कुमकुम, चूड़ियां, मिठाई, वस्त्र आदि अर्पित करें। फिर कथा सुनें और आरती करें। पूजा के बाद व्रत का संकल्प लें और दिन भर सात्विक रहकर भगवान को याद करें।

इस दिन क्या करना शुभ माना जाता है

पूरे मन से पूजा करें और कोई भी काम जल्दबाज़ी में न करें
जरूरतमंदों को दान दें—यह धन और पुण्य दोनों बढ़ाता है
मां लक्ष्मी से पूरे परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करें
पंचामृत से मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं
पूजा में चावल, फूल, हल्दी और मिठाई का विशेष ध्यान रखें

किन बातों से बचना चाहिए

मांसाहारी भोजन, प्याज और लहसुन से बिल्कुल दूर रहें
पूरे दिन नकारात्मक विचारों और गुस्से से बचें
पूजा के दौरान मोबाइल और शोर-शराबे से दूरी बनाएं
बिना स्नान या संकल्प के पूजा करना वर्जित माना जाता है

वरलक्ष्मी व्रत की एक प्रेरणादायक कहानी

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि कौन सा व्रत ऐसा है जिससे महिलाएं अपने परिवार की रक्षा और समृद्धि की कामना कर सकती हैं। तब शिव जी ने वरलक्ष्मी व्रत की महिमा बताई और कहा कि जो महिला इसे श्रद्धा से करती है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। इसी कथा को आज भी व्रत के दिन पढ़ा और सुना जाता है।

पूजा में क्या-क्या सामग्री चाहिए

मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर
कलश, नारियल, आम के पत्ते
चावल, हल्दी, कुमकुम, चूड़ियां
अगरबत्ती, दीपक, बाती
फल, मिठाई और पंचामृत
मेहंदी, बिंदी और सुहाग की चीजें

क्या यह व्रत हर साल करना ज़रूरी है

नहीं, कोई बाध्यता नहीं है। लेकिन यदि आप इसे एक बार श्रद्धा से शुरू करती हैं, तो हर साल करने से एक सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक संतुष्टि मिलती है। यह व्रत एक तरह का आत्मिक संकल्प बन जाता है।

वरलक्ष्मी व्रत क्यों खास है

इस दिन महिला सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिए मां लक्ष्मी से सुख-शांति की कामना करती है। वरलक्ष्मी व्रत उस प्यार और समर्पण का प्रतीक है जो हर महिला अपने घर-परिवार के लिए दिल में रखती है। मां लक्ष्मी भी उसी सच्चे भाव को देखकर प्रसन्न होती हैं।

FAQ

वरलक्ष्मी व्रत 2025 में 8 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह सावन के अंतिम शुक्रवार को आता है।

यह व्रत मुख्यतः विवाहित महिलाएं करती हैं लेकिन कुंवारी लड़कियां भी इसे कर सकती हैं।

इस व्रत से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है।

स्नान कर संकल्प लें, मां लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करें, कलश स्थापित करें और कथा पढ़ें।

सात्विक भोजन करें। फलाहार या व्रत का भोजन जैसे साबूदाना, फल, दूध आदि उपयुक्त हैं।

पूजा विधिपूर्वक करें, संयम रखें, मांसाहार से दूर रहें, झूठ न बोलें और किसी को अपमानित न करें।

भगवान शिव ने पार्वती को इस व्रत की महिमा बताई थी, जिसमें एक स्त्री की सभी मनोकामनाएं पूरी हुई थीं।

यह व्रत एक दिन का होता है, लेकिन श्रद्धा अनुसार इसे हर साल करने की परंपरा है।

लक्ष्मी जी की मूर्ति, कलश, नारियल, फल, मिठाई, हल्दी-कुमकुम, चूड़ियां, दीपक आदि का उपयोग करें।

यह व्रत दक्षिण भारत में पारंपरिक रूप से मनाया जाता है और वहां की स्त्रियां इसे बड़े भक्ति भाव से करती हैं।